मिज़ाज पूछने आए, मिज़ाज करते हैं
शायरी | ग़ज़ल चंपालाल चौरड़िया 'अश्क'1 Mar 2019
मिज़ाज पूछने आए, मिज़ाज करते हैं
हसीन कैसे कैसे देखो नाज़ करते हैं
चोट करते हैं दिल पे इस तरह से वो यारो
चोट करते हैं मगर बेआवाज़ करते हैं
अजब अंदाज़ इनके और अज़ब इनकी अदा
दिल वालों पे इस तरह राज करते हैं
हुस्नो-शबाब रब ने बख्शा इनको ऐसा ’अश्क’
आशिक-मिज़ाज कुर्बां तख़्तो-ताज़ करते हैं
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