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मृत्यु

बड़ा जादू है
इन चंद अक्षरों में
गढ़ देते हैं
अनगिनत कहानियाँ
इक नज़र में
किन्ही के ख़्वाबों को
रौंद देते हैं ये
इक पल में
और मढ़ देते हैं
इच्छाओं का ख़ौफ़नाक जंजाल
फिर कई पल मिलकर
बुन देते हैं वृहत उपन्यास

किन्तु एक नहीं
अनगिनत
पर सबकी अंतर्व्यथा
एक-सी है
इस तरह चंद शब्दों से
निकलते असंख्य शब्द हैं
चीखते हैं फिर हादसों को
और उनसे उपजी
कहानियों को....
उपन्यासों को....

किन्तु सुने कौन
सभी चीखते हृदय हैं
सुनने वाले कानों में तो
घुल रहा है अतीत
अब तक

अक्षर....
सचमुच बड़े ज़ालिम हैं ये
पढ़ लिया जाता है जिन्हें
बिना लिखे
आँखों से, आँखों में कहीं
पीले - से अरमान सब
कुचले जाते हैं बेरहमी से
और कई रंगों में लिपटा सफ़ेद रंग
रहने लगता है फिर
स्थिर

इस तरह भटकती रहती हैं
जीवित कहानियाँ....
और उपन्यास...
किसी के खून को,
किसी के बदबूदार पसीने को
रौंदकर....
किसी के अरमानों की लाश को
ढोए हुए !

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