मुश्किल हो गई
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता संजीव ठाकुर15 Apr 2020 (अंक: 154, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
पापा जी की टाँग टूट गई
अब तो भाई मुश्किल हो गई !
कौन मुझे नहलाएगा?
विद्यालय पहुँचाएगा
सुबह की सैर कराएगा?
रातों को टहलाएगा?
चिप्स–कुरकुरे लाएगा?
कोल्ड–ड्रिंक पिलवाएगा?
आइसक्रीम खिलाएगा?
मार्केट ले जाएगा?
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