नैन
काव्य साहित्य | कविता दीपिका सगटा जोशी 'ओझल'3 Mar 2016
आकार मधुर शृंगार मधुर
तेरे नैनों का मनुहार मधुर
नववधु जैसे घूँघट में छुपी
तेरे नैन कपाट हैं उढ़के से
मृदु कोमल तेरी पलकों पर
नव लज्जा का है भार मधुर
लट घुँघराली लहराती सी
अरूणिम तेरे मधुर अधर
आकुल ये मेरे नैन कहें
कर नैनों संग अभिसार मधुर
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता - हाइकु
कविता
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं