नयी मोहब्बत
काव्य साहित्य | कविता अर्जित पाण्डेय16 Oct 2017
नयी नयी है अभी मोहब्बत
नया नया सा बदलाव है
ज़िन्दगी की रफ़्तार में
अब थोड़ा सा ठहराव है
कि मुरझाये हुए फूल भी
मुझे महकने से लगे हैं
क़दम जो बढ़ते थे शान से
वो भी बहकने से लगे है
मौसमों ने खेली है होली
या मोहब्बत का असर है
सूरज बिखेर रहा है चांदनी
चंदा गरम हो, हुआ बेसबर है
अभी हक़ीक़त को दरकिनार कर
ख़्वाबों की दुनिया में उड़ रहा हूँ
नयी नयी सी सुबह मिली है
अंगड़ाइयाँ ले मैं उठ रहा हूँ
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