नियति
काव्य साहित्य | कविता-मुक्तक प्रदीप कुमार दाश 'दीपक'1 Aug 2019
नीड़ निर्माण का काम
शेष न होगा कभी
तय है क्यों कि…
हवा का आना
और हवा के साथ
नीड़ का बिखर जाना।
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