प्रकृति के नियम
काव्य साहित्य | कविता अतुल चंद्रा8 Nov 2016
प्रकृति के नियम हैं
मिलन और विछोह
हमारा मिलना
तुम्हारा बिछड़ना
नियम थे शायद
पर
हमारे तुम्हारे दरम्यान
जो साझा हुए थे चार पल
स्वतंत्र, स्वछन्द
जड़ता से परे
उन पलों को
सँभाल रखा है मैंने
तुम फिर नहीं शायद
पर प्रकृति से मिलूँगा जब
दूँगा उपहार उन पलों का
कि जी उठे प्रकृति
नियमता से परे
उन पलों में!
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