पुराने दिन
काव्य साहित्य | कविता डॉ. भावना शर्मा1 Jun 2020 (अंक: 157, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
लौट कर कभी दिन पुराने नहीं आते,
जो बीत गए फिर से वो ज़माने नहीं आते,
कैसे कह दूँ कि तू याद नहीं मुझे,
मुझको अब भी जज़्बात छुपाने नहीं आते।
तेरी हर आदत कि आदत है मुझे,
दो-एक पल में ऐसे याराने नहीं आते,
बदल गया है शायद अब रिवाज़-ए-मोहब्बत,
रूठना मत लोग अब मनाने नहीं आते।
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