प्यार
काव्य साहित्य | कविता कल्पना सिंह राठौर1 Jun 2019
प्यार...
जैसे सूखी धरती
और बरखा बहार।
प्यार...
जैसे चाँद को तरसता
सागर का ज्वार।
प्यार...
जैसे बेतरतीब घोंसले में पलता
गौरैया का संसार।
प्यार...
जैसे तवे से उतरती रोटी
गुड़ और अचार।
प्यार...
जैसे बचपन के मासूम खेल
जीत और हार।
प्यार...
जैसे हम-तुम
और झगड़े हज़ार।
प्यार...
जैसे दो दिलों में पलता
साँझा नेह दुलार।
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