शहद
काव्य साहित्य | कविता डॉ. महेश आलोक15 Oct 2019
मैं शहद के बारे में सोचता हूँ
और एक मधुमक्खी
हज़ारों फूलों का चक्कर लगाकर
लौट आती है अपने घर
मैं मधुमक्खी के बारे में सोचता हूँ
और हज़ारों फूल सपने बुनने लगते हैं
शहद बनने के लिये
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