सुखी दुखी
काव्य साहित्य | कविता सुधेश1 Jan 2016
अपने सुख में सब सुखी हैं
सिवा उन के
जो अपने दुख में दुखी हैं
सुखी हँसते हैं
अपने सुख पर
या आँखे चुराते हैं
पराये दुख पर।
जो दुखी हैं अपने दुखों से
वे तो दुखी हैं ही
पर वे दुखी हैं
पराये दुखों पर भी।
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