तेरी याद आई
काव्य साहित्य | कविता दीपक नरेश13 Mar 2009
दिल में गीतों की दस्तक़
भूली हुई कोई धुन पुरानी
जानी हुई कोई आहट
शाम हुई फिर सुहानी
तराना कहीं कोई गूँजा
बजी दूर फिर शहनाई
तेरी याद आई, तेरी याद आई
रात भऱ करवटें बदली दिल ने
सपनों ने ली अँगड़ाई
फिर धूप सुबह खिली जो
लो तन्हाई भी मुस्कराई
तेरी याद आई, तेरी याद आई
रह रह के होता है अक्सर
कहीं कोई अपना बुलाए
सुने अनसुने से तराने
ये दिल मेरा यूँ गुनगुनाए
आँखों में सपनों की झालर
पलकों ने सेज सजाई
तेरी याद आई, तेरी याद आई
ना है वो कहीं फिर भी दिल है
मेरी मानता ही नहीं है
फूलों सी महके फ़िजां ये
लगे वो यहीं है यहीं है
यहीं है कहीं वो रुबाई
तेरी याद आई, तेरी याद आई
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