वक़्त इतना बदल जायेगा भान नहीं था
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ललिता यादव1 Mar 2019
कुछ ऐसा हो जायेगा
अनुमान नहीं था
वक़्त इतना बदल जायेगा
भान नहीं था
मेरे बिना कटती नहीं थी
जिनकी जिंदगी
वे ही किनारा कर लेंगे
अनुमान नहीं था
वक़्त ने मुझसे आँख मिचौली
क्या कर ली
नक़ाब इस तरह खुल जायेगा
अंदाज़ नहीं था
अच्छा ही हुआ जो वक़्त
ने सीखा दिया
वरना जीवन का ये सबक
आसान नहीं था
बहुत कोशिश की मैंने भी
रंग बदलने की
पर उनकी तरह बदलना
आसान नहीं था
हमेशा ही कोशिश की
रिश्ता दिल से निभाने की
कभी अपने फ़र्ज़
का गुमान नहीं था
हो जाती हैं ग़लतियाँ
मुझसे भी
वरना लोग हमसे रूठें
ये अरमान नहीं था
अपनत्व के हक़ जताने वालों से
हार जाते हैं हम
वरना गुलामी करना
कोई फ़रमान नहीं था
अनसुनी करके चलती रही
अपनी राहों पर
घुट घुट कर मंज़िल तक
पहुँचना कोई काम नहीं था
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