ज़िंदगी आपकी अदालत
काव्य साहित्य | कविता आंचल सोनी ’हिया’15 May 2019
ज़िंदगी आपकी अदालत है,
उसकी परिस्थितियाँ आपका जज।
आपका ज़मीर आपका वकील है,
आपका संघर्ष आपका केस है।
आपकी असफलता इस केस की हार,
आप की सफलता इस केस की जीत है।
हारते-जीतते सब हैं मगर,
ज़िंदगी रहते कोई रिहा नहीं होता।
ताउम्र लड़ने के बाद इस अदालत,
और इस केस से एक दिन...
चार कंधे और एक जनाज़े के साथ,
आपको बाइज़्ज़त बरी किया जाता है॥
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