गोलू का सपना
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कहानी अनुराग1 Aug 2023 (अंक: 234, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
“जल्दी उठो गोलू, 7 बज गये,” गोलू की मम्मी ने रोज़ की तरह रसोई में काम करते हुए ज़ोर से आवाज़ लगाई।
“मैं तैयार हो गया मम्मी,’ ये सुनकर गोलू की मम्मी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। ‘ये तो कभी 8 बजे से पहले उठता नहीं, आज अचानक क्या हो गया’ उन्होंने मन ही मन सोचा।
वो रसोई से गोलू के कमरे में गयी। गोलू अपने बाल सँवार रहा था।
“क्या बात है! आज इतनी जल्दी कैसे उठ गए?“ गोलू की मम्मी ने आश्चर्य से पूछा।
“भूल गयी मम्मी, आज १५ अगस्त है। आज हमारे स्कूल में सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर मुख्य अतिथि के रूप में आने वाले हैं। वो ही झंडोत्तोलन करेंगे। मैं भी एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनूँगा और झंडोत्तोलन करूँगा।“
“जुग-जुग जियो मेरे लाल और रोज़ सुबह ऐसे ही जल्दी उठकर तैयार हो जाया करो,” गोलू की मम्मी ने ख़ुश होकर कहा।
गोलू फटाफट नाश्ता करके स्कूल के लिए निकल गया। स्कूल घर से लगभग 5 किलोमीटर दूर था। वो साइकिल से स्कूल जाता था।
गोलू ने आधा रास्ता भी पार नहीं किया होगा की अचानक बहुत तेज़ बारिश होने लगी। तूफ़ानी हवा चलने लगी। गोलू पूरी तरह से भीग चुका था। उसे ठण्ड भी लग रही थी। उसकी नज़र पास के एक दुकान पर पड़ी जहाँ बहुत से लोग बारिश से बचने के लिए रुके हुए थे। वो भी वहीं पे रुक गया और बारिश के रुकने का इंतज़ार करने लगा।
लगभग १५ मिनट के बाद बारिश रुक गयी। गोलू अपनी साइकिल पे बैठकर स्कूल की ओर जाने लगा। तभी उसने देखा की एक औरत ‘बचाओ, बचाओ’ चिल्लाते हुए भागते हुए उसकी ओर आ रही है।
“मेरा 2 साल का बच्चा बरसाती नाले में बह गया है, उसे बचा लो,“ उस औरत ने पीछे इशारा करते हुए बोला।
गोलू ने पीछे देखा, एक छोटा बच्चा नाले के तेज़ बहाव में बहता जा रहा था। उसने साइकिल पीछे की ओर घुमाई और तेज़ी से पैडल मारने लगा। वो उस बहते हुए बच्चे का पीछा करने लगा।
शीघ्र ही में वो बच्चे के पास पहुँच गया। फिर उसने साइकिल से उतरकर बच्चे को पकड़ लिया। बच्चा ज़ोर से रो रहा था।
थोड़ी देर में बच्चे की माँ वहाँ आ गयी। उसने गोलू को धन्यवाद और आशीर्वाद दिया। गोलू स्कूल की ओर चल दिया।
गोलू स्कूल गया तो सब उसकी तारीफ़ कर रहे थे। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उसकी नज़र स्कूल के सभागार में लगे टीवी पर पड़ी। उसने जो बच्चे की जान बचायी ये सारी घटना टीवी पर आ रही थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने उसे शाबाशी दी और उससे झंडोत्तोलन करवाया।
गोलू बहुत ख़ुश था। उसका सपना पूरा हो चुका था।
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