ज्ञान का वृक्ष
कथा साहित्य | लघुकथा अवधेश तिवारी15 Nov 2025 (अंक: 288, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
आकाश को छूता हुआ ज्ञान का विशाल वृक्ष सैकड़ों शाख़ा-प्रशाख़ाओं में चारों ओर फैला हुआ था। इस विशाल वृक्ष की लगभग हर शाख़ में अलग-अलग तरह के पंछी आकर विश्राम करते थे इसलिए एक डाल के पंछियों को दूसरे डाल की पंछियों की बोली समझ में नहीं आती थी।
ज्ञान का वृक्ष कोलाहल से भरा हुआ था।
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