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हर तरफ़ ‘पनौती’

 

हर तरफ़ पनौती छाया हुआ है। यह फ़िल्मों की दुनिया से निकलकर राजनीति के मंच पर आ गया है। क्रिकेट वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में भारत की हार के बाद सोशल मीडिया पर इस शब्द ने तेज़ी से जगह बनाई। इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने पनौती शब्द के ज़रिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा तो पक्ष-विपक्ष ने इसे और चर्चा के केंद्र में ला दिया। इसके बाद चाहे राजनीतिक पार्टियाँ हों या आम आदमी अथवा भाषा के जानकार, सभी पनौती को भाव दे रहे हैं, जबकि अर्थ की दृष्टि से देखें तो पनौती का अर्थ इतना उलझा हुआ है कि इसे भाव दिए जाने की कोई ज़रूरत महसूस नहीं होगी। जिस तेज़ी से पनौती शब्द ने विस्तार पाया है, आने वाले दिनों में यह शब्द पप्पू और फेंकू जैसे शब्दों के प्रयोग को भी पीछे छोड़ देगा। इस बात की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इसे भारत के संदर्भ में वर्ष 2023 के लिए वर्ड ऑफ़ द ईयर का सम्मान हासिल हो जाए। इस शब्द की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि गूगल पर 25 भाषाओं में इसका अनुवाद उपलब्ध है। इन भाषाओं में पनौती शब्द का प्रयोग करते हुए साधारण वाक्य बनाए गए हैं। इस वक़्त पनौती भारत में गूगल पर सबसे अधिक खोजा जाने वाला शब्द बन गया है। 

सामान्य अर्थाें में देखें तो यह शब्द ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त (प्रायः संज्ञा और अक़्सर विशेषण के रूप में) जिसकी मौजूदगी भर से बनता काम बिगड़ जाता है। यानी ऐसा व्यक्ति जो अनलक्की, अभागा और बुरी क़िस्मत वाला है। इस व्याख्या के पीछे कोई तार्किक आधार नहीं है, लेकिन जनसामान्य ने इसे इसी रूप में ग्रहण कर लिया गया है। इस शब्द की उत्पत्ति और व्याख्या का सिलसिला लगातार चल रहा है। भाषाविद डॉ. सुरेश पंत का दावा है कि यह ‘पन’ शब्द में औती प्रत्यय लगने से बना है। उनके अनुसार, हिंदी में ‘औती’ प्रत्यय से अनेक शब्द बनते हैं। इनमें कटौती, चुनौती, मनौती, बपौती, फिरौती आदि शामिल हैं। हालाँकि, संस्कृत और हिंदी के विद्वान डाॅ. राम विनय सिंह का कहना है कि संस्कृत में ‘औती’ जैसा कोई प्रत्यय नहीं है। न ही हिंदी में प्रत्यय के तौर पर इसकी स्वीकार्यता है। हालाँकि, डाॅ. राम विनय सिंह इस बात से सहमत हैं कि पनौती एक लोक शब्द है, जिसने अप-अर्थ ग्रहण कर लिया है। 

वैसे, इस शब्द के संदर्भ में कुछ और व्याख्या करना चाहें तो कह सकते हैं कि यह दो शब्दों से मिलकर बना है—पन और औती। ‘पन’ शब्द पनघट, पनबिजली और पनचक्की आदि में पानी के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। पनौती का अर्थ बाढ़ भी है। यहाँ भी ‘पन’ यानी पानी के कारण संकट पैदा हो रहा है। इसलिए विनाशकारी बाढ़ भी पनौती ही है। फ़ेसबुक पर एक टिप्पणी में दुर्गा शरण दुबे लिखते हैं, “पनौती अर्थात्‌ पानी फिर जाना। पनौती में कर्ता का भाव निहित है सो यह व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता हुआ विशेषण रूप में प्रयुक्त किया जाने लगा है।”

हालाँकि, वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत अस्थाना लिखते हैं कि “वस्तुतः पनौती शब्द की उत्पत्ति या इसके प्रयोग के मूल क्षेत्र के बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है, परन्तु यहाँ इसका सम्बन्ध पानी से जोड़ना बहुत तर्कसंगत नहीं लगता। जूते के लिए प्रयुक्त शब्द ‘पनहीं’ (उपानह) देखें। इसमें ‘पन’ का पानी से कोई सम्बन्ध नहीं है। वैसे, जूता फेर कर नज़र उतारने को बुंदेली और अवधी के संक्रमण वाले क्षेत्र में पनौती करना या पनौती उतारना कहते रहे हैं।”

लगभग ऐसी ही राय समीक्षक प्रोफ़ेसर अरविंद अवस्थी की भी है। उन्होंने टिप्पणी लिखी, “यह शब्द पहले ग्रामीण क्षेत्रों में ख़ूब प्रचलित था, हालाँकि अब उतना नहीं रहा। पनौती पनहीं से बना है, इसका सम्बन्ध जूतों से है। पन्हौती अर्थात्‌ जूतों से सत्कार। ऐसा व्यक्ति जिसके कर्म या भाग्य ऐसे हों कि उसके पहुँच जाने पर बनते काम बिगड़ जाएँ। उसकी लोग पनौती कर देते थे, ताकि शुभ कामों में उसकी मनहूस उपस्थिति न हो।”

इस विमर्श में यह बात स्पष्ट है कि ये मानक शब्द नहीं है, यह जनसामान्य में प्रयुक्त होने वाला देसज शब्द है। पन शब्द अवस्था या दशा से भी जुड़ा है। इससे बालपन, अल्हड़पन, युवापन जैसे शब्द भी बने हैं। हिंदू धर्म के कुछ ग्रंथों में चार पनोतियों (हालाँकि, पनोती और पनौती, दोनों अलग शब्द हैं, लेकिन लोगों ने एक ही मानकर स्वीकार कर लिया है) का उल्लेख मिलता है। ये पनोती जीवन की चार अवस्थाओं—बालावस्था, किशोरावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था (वृद्धावस्था)—से जुड़ी हैं। 

पनौती को शनि की बुरी दशा का समय भी माना गया है। इसे साढ़े साती से कम प्रभाव वाला माना जाता है। यहाँ इसका अर्थ पौने या यानी 75 प्रतिशत के तौर पर भी ग्रहण किया जा सकता है। इसीलिए ऐसे लोगों को अक़्सर शनिचरी या शनिचर भी कहा जाता है, हालाँकि यह भी एक अनुमान ही है। पनौती शब्द के विषय में फ़ेसबुक पर लिखी गई मेरी टिप्पणी पर कुछ मित्रों ने अपने भाषिक इलाक़ों में इस शब्द के संभावित अर्थ भी बताए हैं। इसके अर्थ के तौर पर नाशकेत (नासखेत), बिगाड़ू, मनहूस, नासपीटा, फिरौतिया आदि भी बताए गए हैं। इनका अर्थ भी बुरे के संदर्भ में ही हैं। इसी क्रम में फ़ेसबुक मित्र डाॅ. सच्चिदानंद पांडेय ने लिखा, “यह ज्योतिष का शब्द है और मुंबइया भाषा से फ़िल्मों के ज़रिये भारत की आम जनता के पास पहुँचा। इसे ख़राब ग्रहदशा वाला समय माना जाता है। जैसे उत्तर भारत में शनि की ढैया, साढ़े साती आदि शब्द बोले जाते हैं, उसी तरह मुंबइया भाषियों में इसी ख़राब ग्रह के प्रभाव में चल रहे समय को उस ग्रह की पनौती कहते हैं। अब फ़िल्मी डायलागों में अक़्सर ‘साला पनौती है‘, ‘पनौती चल रही है‘ इत्यादि सुनते-सुनते यह आम जन के प्रचलन में आया। इसी शब्द को खींचतान के अब ऐसे किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान तक के लिए प्रयुक्त किया जाने लगा जो काम बिगाड़ते हों या जिनके कारण काम बिगड़ता हो।”

कई बार किसी शब्द को आधिकारिक/सरकारी मान्यता भी हासिल हो जाती है। पनौती के मामले में भारत के निर्वाचन आयोग ने मान्यता बख्शने का काम किया है। आयोग ने इसे अपमानक शब्द के रूप में स्वीकार किया है। राहुल गाँधी द्वारा अपने भाषण में प्रधानमंत्री को पनौती कहे जाने पर आयोग ने जो नोटिस दिया है, उसमें कहा गया है कि ‘पनौती’ शब्द प्रथम दृष्टया भ्रष्ट गतिविधियों से निपटने वाले जनप्रतिनिधित्व क़ानून की धारा 123 के दायरे में आता है। मतलब साफ़ है कि ये शब्द गाली के दायरे में आ रहा है। 

अब इस शब्द को केवल भारत तक सीमित नहीं रखा जा सकता, ये पाकिस्तान में भी चर्चा में है और नेपाल के बागमती राज्य में तो एक शहर का नाम ही पनौती है। इस पर रवीश कुमार ने यूट्यूब पर एक रिपोर्ट भी की है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उत्तर प्रदेश में एक गाँव का नाम भी पनौती है। इस शब्द को तारक मेहता का उल्टा चश्मा के अलावा परेश रावल और अक्षय कुमार की फ़िल्मों भी सुना गया है। इनका उल्लेख भी रवीश कुमार ने अपनी रिपोर्ट में किया है, लेकिन वे इस शब्द के भाषिक स्वरूप पर जाने की बजाय इसके राजनीतिक निहितार्थ पर ज़्यादा ध्यान देते हैं और यह स्थापित करने का प्रयास करते हैं कि पनौती एक सकारात्मक और पवित्र अर्थ भी धारण किए हुए है। 

पनौती और पनोती। दोनों शब्द अलग हैं, लेकिन लोगों ने दोनों को एक ही मानकर पनौती के तौर पर स्वीकार कर लिया है। आम लोगों में उच्चारण स्पष्टता के अभाव में दोनों को एक ही प्रकार से उच्चारित किया जा रहा है, जबकि दोनों के अर्थ भिन्न हैं। पनौती शब्द के मामले में शब्दकोश भी हाथ खड़े कर देता है। हिंदीखोज डॉट कॉम पर सर्च करने पर लिखा आता है, “यह शब्द (पनौती) अभी हमारे डाटाबेस में नहीं है।” केवल ऑनलाइन ही नहीं, हिंदी के शब्दकोशों में भी पनौती की मौजूदगी नहीं है, हालाँकि पनोती ज़रूर मिलता है। पनोती के अर्थ का ऊपर की पंक्तियों में उल्लेख किया गया है। यह उर्दू और पंजाबी के शब्दकोश में भी नहीं है। 

वैसे, पनौती शब्द पर सबसे ज़्यादा अधिकार मुंबइया हिंदी का ही दिखाई देता है। फ़िल्मों के ज़रिये ही इसने दुनिया भर की यात्रा की है। यह तय है कि आने वाले दिनों में फ़िल्मों, ओटीटी सीरीज़ आदि में इसका और ज़्यादा प्रयोग सुनाई देगा। वस्तुतः पनौती किसी एक भाषा का शब्द नहीं रह गया है। कुछ लोगों ने मराठी और गुजराती में इसका उत्स ढूँढ़ने की कोशिश की, लेकिन अभी तक लोक-प्रयोग के अलावा कोई अन्य आधार नहीं मिला है। इन दोनों भाषाओं में भी ये शब्द प्रायः उन लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, जो किसी ख़ास व्यक्ति या गतिविधि के चलते बुरा घटित होने में यक़ीन रखते हैं। जैसे घर से निकलते वक़्त बिल्ली द्वारा रास्ता काट देना या किसी द्वारा छींक देना। ऑनलाइन माध्यमों पर इस बात का ज़िक्र भी किया गया है कि मराठी में बुरी ख़बर लाने वालों को भी पनौती बोला जाता है। दूर की कौड़ी ढूँढ़ने वालों ने इसका सम्बन्ध तमिल शब्द पन्नादाई के साथ भी जोड़ा है। दावा किया गया है कि पनौती शब्द पन्नादाई से विकसित हुआ है, जिसका एक अर्थ मूर्ख भी होता है। 

इस शब्द के अभी तक के प्रयोग के आधार पर देखें तो कह सकते हैं कि ‘पनौती’ शब्द नकारात्मक अर्थ वाला शब्द है। यह शब्द उस इंसान या वस्तु के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो अपने आस-पास के लोगों के लिए बुरी सूचना की वजह बनता है। या फिर जिसकी वजह से कोई काम पूरा न हो सके, उस वजह को भी पनौती कह सकते हैं। पनौती की व्युत्पत्ति को समझने के लिए उसके इतिहास, स्वरूप और अर्थ के बारे में केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। एक अनुमान यह है कि जिस कारण कष्टदायक और डरावनी स्थितियाँ पैदा हो रही हों, वह पनौती है। यह कारण व्यक्ति भी हो सकता है और परिस्थिति भी। 

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