हथेली पर बाल
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कहानी विजय विक्रान्त3 May 2012
एकबार शहंशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था राजा टोडर मल, राजा मान सिंह, मियाँ तानसेन, राजा बीरबल, बाकी नवरत्न और सभी सभासद बैठे हुए थे। एकाएक अकबर ने बीरबल से सवाल किया कि बीरबल ये बताओ कि हथेली पर बाल क्यों नहीं होते?
बीरबल के पूछ्ने पर कि किस की हथेली की बात हो रही है, अकबर ने जवाब दिया कि उनकी अपनी हथेली की बात हो रही है। बीरबल ने हाथ जोड़ कर कहा, “बादशाह सलामत, क्योंकि आप दान बहुत देते हैं इसी कारण आपकी हथेली पर बाल नहीं हैं|"
ये सुनकर अकबर ने फिर सवाल किया – “वो तो सब ठीक है मगर तुम्हारी हथेली पर बाल क्यों नहीं हैं।”
बीरबल ने जवाब दिया, “जहांपनाह, आप दान देते हैं और मैं दान लेता हूँ, इसी कारण मेरी हथेली पर बाल नहीं हैं।"
अकबर चक्कर में आगया मगर उसने हार नहीं मानी, फिर सवाल किया – “बीरबल चलो यह बात तो समझ आ गई कि मेरी और तुम्हारी हथेली पर बाल क्यों नहीं हैं, मगर यहाँ पर जो ये सब सभासद बैठै हैं उनकी हथेली पर भी तो बाल नहीं हैं, इस का क्या कारण है?”
बीरबल ने फिर हाथ जोड़ कर कहा, “अन्नदाता, मामूली सी बात है, जब आप दान देते हैं और मैं दान लेता हूँ तो सभासदों से और कुछ तो बन नहीं पाता, बस ईर्ष्या के मारे अपने दोनों हाथों को बुरी तरह से मलना शुरू कर देते हैं। यही कारण है मेरे मालिक कि इन की हथेली पर बाल नहीं हैं।”
बीरबल के उत्तर से अकबर बहुत प्रसन्न हुआ और इनाम में सोने की माला दे दी।
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