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झुग्गीराम के वफ़ादार मच्छर

एक रात मच्छर ने स्वामी के घर चोरों को घुसते हुए देखा, तो वह सतर्क हो गया। मच्छर भिनभिनाने की आवाज़ बन्द कर चोरों का कारनामा देखने लगा। अपने स्वामी के घर को लुटते हुए देख स्वयं चुपचाप कैसे रह सकता था! 

बिना विलम्ब किये अपने स्वामी यानी झुग्गीराम के पास जाने के लिए निकल पड़ा, मगर उसे मालूम था कि जालदानी के अंदर प्रवेश कर पाना उसके लिए गड़ा धन मिलने के समान है। अंततः पीछे हटकर स्वयं चोरों से लड़ने का उपाय ठाना। वह दौड़े-दौड़े आस-पड़ोस के सभी मोहल्ले से सभी मच्छर बन्धुओं को बुला लाया। मच्छरों की आपातकालीन पंचायत लगी। सभी मच्छरों ने अपने-अपने तरीक़े से लड़ने की ख़ूबियाँ पेश कीं। राजू के कम्फो, माही के हेलीकाप्टर कट, जुगनू के भिन-भिन झनकार, सभी श्रेष्ठ योद्धाओं को अपनी-अपनी टुकड़ियों में बाँट दिया गया। मगर सामने दो बड़े दुश्मनों के लिए उन लोगों की तैयारी और शक्ति बहुत कम थी, जिसका सम्पूर्ण आभास उसके सरदार को भी था। 

महापंचायत में सरदार द्वारा निर्णय लिया गया कि स्वामी के घर में रहने वाला मच्छर सभी टुकड़ियों को कमांड करेगा और सबसे पहले कूच करेगा। मच्छरों के मोहल्ले में ख़बर आग की तरह फैल गयी कि सरदार ने फ़रमान जारी कर दिया है—हम जालियांवाला बाग़ नीति से दुश्मन को परास्त करेंगे। 

यहाँ जालियांवाला बाग़ नीति का अर्थ सभी मच्छर बन्धुओं द्वारा किसी एक दुश्मन को लक्ष्य करके शिकार करना है। स्वामी के घर में आश्रित मच्छर अपने टुकड़ी बल के साथ एक चोर पर टूट पड़ा। 

युद्ध के दौरान, अन्य मच्छर स्वामी के पड़ोसी के घर के लिए निकल पड़े। मध्यरात्रि में पड़ोसी मच्छरों के प्रकोप से तंग आकर मोरटिन जलाने उठा, तब उसने झुग्गीराम के घर में हलचल देखी। मच्छर द्वारा नाक में घुस जाने के कारण एक चोर ने ज़ोर से छींका, आवाज़ घर के अंदर न चली जाये इसलिये चोर घर से बाहर निकल आया था। यह हादसा पड़ोसी की आँखों देखा हो रहा था। पड़ोसी ने हल्ला मचाकर लोगों को इकट्ठा कर लिया और दोनों चोरों को रंगे-हाथों दबोच लिया। 

अतः इस कहानी से हमें यहीं सीख मिलती है कि अपने आस-पास के प्रत्येक प्राणी से हमें मित्रता रखनी चाहिये। भगवान के बनाए हुए प्रत्येक प्राणी का स्वभाव मैत्रीपूर्ण होता है। 

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