रात
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता मईनुदीन कोहरी ’नाचीज़’15 Oct 2021 (अंक: 191, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
रात हुई भई रात हुई।
दिन हो गया ज्यूँ छुई मुई॥
रात हुई अँधेरा साथ लाई।
आसमान में तारों की बारात आई॥
टिमटिम- टिमटिम तारे चमके।
गिनते- गिनते आँखें झपकें॥
छोटे- छोटे झुरमुट से तारे।
कुछ पगडंडी जैसे लगते तारे॥
सबसे बड़ा चमकीला तारा।
उत्तर दिशा में दिखता ध्रुवतारा॥
अलगअलग समय कुछ दिखते तारे।
सप्त ऋषिमण्डल कीर्ति कुछ तारे॥
तारे देख दादी-नानी समय बताती।
रात जाते-जाते तारे साथ ले जाती॥
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