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संकल्‍प

आदतन अपराधी पुत्र के दुखियारे पिता चल बसे। बैठक लगी। पंडित प्रतिदिन संध्या समय गरुड़-पुराण बाँचते। एक दिन पंडित ने नचिकेता द्वारा देखे गये नर्क के वृतान्त को सुनाना शुरू किया। "अधर्मी, पापी, दूसरों को हानि पहुँचाने वाले दुष्टों को नर्क में नाना प्रकार से यातना दी जा रही थी। किसी को कोड़े मारे जा रहे थे। कोई खौलते तेल में तला जा रहा था.." आदि आदि। गरुड़ पुराण सुनते-सुनते दिवंगत पिता के अपराधी बेटे ने मन ही मन एक कठोर "संकल्प" लिया।

अगले ही दिन से गरुड़ पुराण बन्द कर दिया।

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