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उज्जैन और लघुकथा

भगवान महाकाल, कवि कालिदास और गुरु गोरखनाथ का नगर है उज्जैन। यहाँ प्रतिवर्ष भव्य ‘कालिदास समारोह’ का आयोजन होता है और प्रति बारह वर्ष में सिंहस्थ (कुंभ) मेला लगता है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु आते हैं। मध्यप्रदेश के गठन के बाद सबसे पहले विश्वविद्यालय की स्थापना उज्जैन में ही हुई थी। 

साहित्य की हर विधा की तरह लघुकथा क्षेत्र में भी उज्जैन में काफ़ी सृजन कार्य हुए हैं। 1981 में डॉ. राजेन्द्र सक्सेना (अब स्वर्गीय) का संग्रह ‘महंगाई अदालत में हाज़िर हो’ प्रकाशित हुआ था। कुछ वर्षों के बाद 1990 में श्रीराम दवे के सम्पादन में लघुकथा फ़ोल्डर ‘भूख के डर से’ प्रकाशित हुआ था। 1996 में डॉक्टर शैलेन्द्र पाराशर के सम्पादन में साहित्य मंथन संस्था से लघुकथा संकलन ‘सरोकार’ का प्रकाशन हुआ था जिसमें 20 रचनाकार शामिल थे। सन् 2000 में स्व. श्री अरविंद नीमा ‘जय’ की लघुकथाओं का संग्रह ‘गागर में सागर’ नाम से प्रकाशित हुआ   था जिसे उनके परिवार ने उनके देहावसान के बाद प्रकाशित करवाया था। इसमें उनकी 32 हिंदी और 22 मालवी बोली की लघुकथाएँ शामिल थीं। वर्ष 2002 में डॉक्टर प्रभाकर शर्मा और सरस निर्मोही के सम्पादन में ‘सागर के मोती’ लघुकथा संकलन प्रकाशित हुआ जिसमें उस समय आयोजित एक लघुकथा प्रतियोगिता के विजेताओं की भी रचनाऐं शामिल थीं। 2003 में श्रीराम दवे के सम्पादन में “त्रिवेणी” लघुकथा संकलन प्रकाशित हुआ जिसमें योगेन्द्रनाथ शुक्ल, सुरेश शर्मा (अब स्वर्गीय) और प्रतापसिंह सोढ़ी की लघुकथाएँ शामिल थीं। बैंक-कर्मियों की साहित्यिक संस्था ‘प्राची’ ने सन् 2001-2002 के दरम्यान उज्जैन में लघुकथा गोष्ठियाँ आयोजित की थीं। इसी प्रकार श्री जगदीश तोमर के निर्देशन में प्रेमचंद सृजन पीठ, उज्जैन ने भी लघुकथा गोष्ठियाँ आयोजित की थीं। बाद के वर्षों में विभिन्न लघुकथाकारों के संग्रह/संकलन प्रकाशित हुए जिनका वर्णन निम्नानुसार है:

  1. श्रीमती मीरा जैन का “मीरा जैन की सौ लघुकथाएँ” वर्ष 2003 में, 

  2. सतीश राठी के सम्पादन में सन्तोष सुपेकर और राजेंद्र नागर ‘निरन्तर’ का संयुक्त लघुकथा संकलन ‘साथ चलते हुए’ वर्ष 2004 में, 

  3. सन्तोष सुपेकर का ‘हाशिये का आदमी’ वर्ष 2007 में, 

  4. राधेश्याम पाठक ‘उत्तम’ का संग्रह ‘पहचान’ वर्ष 2008 में, 

  5. इसी वर्ष श्री पाठक का मालवी बोली में लघुकथा संग्रह ‘नी तीन में, नी तेरा में', 

  6. 2009 में मोहम्मद आरिफ का ‘अर्थ के आँसू’ प्रकाशित हुआ। 

  7. सन्‌ 2009 में ही राधेश्याम पाठक ‘उत्तम’ का संग्रह ‘बात करना बेकार है’ 

  8. सन्तोष सुपेकर का’ बन्द आँखों का समाज’ वर्ष 2010 में प्रकाशित हुआ। 

  9. 2010 में ही मीरा जैन का ‘101 लघुकथाएँ’, 

  10. मोहम्मद आरिफ का  ‘गांधीगिरी’ लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुआ। 

  11. 2011 में ‘शब्दप्रवाह’ साहित्यिक संस्था द्वारा 198 लघुकथाकारों की रचनाओं से युक्त लघुकथा विशेषांक संदीप ‘सृजन’ और कमलेश व्यास ‘कमल’ के सम्पादन में निकला। 

  12. वर्ष 2011 में ही राजेंद्र नागर ‘निरन्तर’ का ‘खूंटी पर लटका सच’ प्रकाशित हुआ। 

  13. वर्ष 2012 में प्रेमचंद सृजनपीठ, उज्जैन द्वारा प्रोफ़ेसर बी.एल. आच्छा के सम्पादन में देशभर के 229 लघुकथाकारों का विशाल 242 पृष्ठों का लघुकथा संकलन ‘संवाद सृजन’ प्रकाशित हुआ।

  14. सन् 2012 में ही डॉक्टर संदीप नाड़कर्णी के संकलन ‘नौ दो ग्यारह’ में 11 लघुकथाएँ संकलित थी। 

  15. इसी वर्ष राधेश्याम पाठक ‘उत्तम’ का संग्रह “पहचान“प्रकाशित हुआ। 

  16. वर्ष 2013 में सन्तोष सुपेकर का लघुकथा संग्रह “भ्रम के बाज़ार में” प्रकाशित हुआ जिसमें 153 लघुकथाएँ थी। 

  17. वर्ष 2013 में ही सन्तोष सुपेकर के सम्पादन में राजेंद्र देवधरे ‘दर्पण’ और राधेश्याम पाठक ‘उत्तम’ की लघुकथाओं का फ़ोल्डर ‘शब्द सफ़र के साथी’ प्रकाशित हुआ। 

  18. इसी वर्ष (2013 में) कोमल वाधवानी ‘प्रेरणा’ का संग्रह ‘नयन नीर’ प्रकाशित हुआ जिसमें उनकी 100 लघुकथाएँ शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि ‘प्रेरणा’ जी दृष्टिबाधित रचनाकार हैं। 

  19. ‘बंद आँखों का समाज’ (संतोष सुपेकर) का मराठी संस्करण ‘डोलस पण अन्ध समाज’ (अनुवादक श्रीमती आरती कुलकर्णी) भी 2013 में निकला। 

  20. 2015 में कोमल वाधवानी ‘प्रेरणाजी’ का 104 लघुकथाओं का दूसरा लघुकथा संग्रह ‘क़दम क़दम पर’ प्रकाशित हुआ। 

  21. वर्ष 2016 में वाणी दवे का ‘अस्थायी चारदीवारी',

  22. कोमल वाधवानी ‘प्रेरणा’ का ‘यादों का दस्तावेज', (124 लघुकथाएँ)

  23. मीरा जैन का ‘सम्यक लघुकथाएँ’ लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुए। 

  24. वर्ष 2017 में सन्तोष सुपेकर का चौथा लघुकथा संग्रह ‘हँसी की चीखें’ प्रकाशित हुआ जिसमें 101 लघुकथाएँ संगृहीत हैं। 

  25. 2018 में डॉक्टर वन्दना गुप्ता के संकलन ‘बर्फ में दबी आग’ में कुछ लघुकथाएँ सकलित थीं। 

  26. 2019 में मीरा जैन का ‘मानव मीत लघुकथाएँ” प्रकाशित हुआ। 

  27. 2020 में सन्तोष सुपेकर का पाँचवाँ लघुकथा संग्रह “सांतवें पन्ने की खबर“प्रकाशित हुआ जिसमें 112 लघुकथाएँ संकलित हैं। 

  28. 2021 में उज्जैन के सन्तोष सुपेकर और इंदौर के राममूरत ‘राही’ के सम्पादन में, देश का पहला, अनाथ जीवन पर आधारित लघुकथा संकलन “अनाथ जीवन का दर्द“अपना प्रकाशन भोपाल के सहयोग से प्रकाशित हुआ। 

  29. 2021 में ही उज्जैन के सन्तोष सुपेकर के सम्पादन, संयोजन में लघुकथा साक्षात्कार का संकलन “उत्कण्ठा के चलते” एच आई पब्लिकेशन, उज्जैन से प्रकाशित हुआ जिसमें लघुकथा से जुड़े मध्यप्रदेश के सात लघुकथाकारों /समीक्षकों सर्वश्री सूर्यकान्त नागर, सतीश राठी, डॉ. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, डॉ. पुरुषोत्तम दुबे, कान्ता रॉय, वसुधा गाडगीळ और अंतरा करवड़े के साथ ही तीन अन्य विधाओं से जुड़ी हस्तियों डॉक्टर पिलकेन्द्र अरोरा (व्यंग्य) सन्दीप राशिनकर (चित्रकला) अमेरिका निवासी श्रीमती वर्षा हलबे (शास्त्रीय गायन, कविता) और लघुकथा के एक सामान्य पाठक श्री संजय जौहरी से भी लघुकथा को लेकर प्रश्न पूछे गए थे। 

  30. 2021 में डॉक्टर सन्दीप नाडकर्णी का लघुकथा संग्रह “हम हिंदुस्तानी“प्रकाशित हुआ जिसमें 51 लघुकथाएँ हैं। इसी वर्ष श्रीमती कोमल वाधवानी ‘प्रेरणा'का चौथा लघुकथा संग्रह ‘रास्ते और भी हैं'प्रकाशित हुआ। उज्जैन के शिक्षाविद श्री रामचन्द्र धर्मदासानी का पहला लघुकथा संग्रह ‘ रैतीली प्रतिध्वनि’ भी 2021 में प्रकाशित हुआ जिसमें 122 लघुकथाएँ संकलित हैं। 

  31. 2022 में सन्तोष सुपेकर का छठवाँ लघुकथा संग्रह ‘अपकेन्द्रीय बल’ एच आई पब्लिकेशन, उज्जैन से प्रकाशित हुआ जिसमें 154 लघुकथाएँ शामिल हैं। 2022 में ही नवोदित लेखिका हर्षिता रीना राजेन्द्र के संकलन “सदा सखी रहो “का उज्जैन में विमोचन हुआ जिसमें कुछ लघुकथाएँ भी सम्मिलित हैं। 

2022 में ही सन्तोष सुपेकर की दो लघुकथाओं ‘तकनीकी ड्रॉ बेक’ और ‘अंतिम इच्छा’ पर बिहार के अभिनेता श्री अनिल पतंग ने शार्ट फिल्म्स बनाईं। इसी वर्ष श्रीमती कल्पना भट्ट (भोपाल) ने उज्जैन के सन्तोष सुपेकर के चार लघुकथा संग्रहों (बन्द आँखों का समाज, भ्रम के बाज़ार में, हँसी की चीखें और सातवें पन्ने की खबर) में से 14-14, कुल 56 लघुकथाएँ चयन कर उन्हें अँग्रेज़ी में अनूदित किया जिसे ख्यात लघुकथाकार उदयपुर के डॉक्टर चंद्रेश छतलानी ने संकलित कर ‘Selected Laghukathas of Santosh Supekar’ शीर्षक से प्रकाशित करवाया। 

इनके अलावा संस्था ‘सरल काव्यांजलि, उज्जैन’ द्वारा वर्ष 2018 एवम् 2019 में समय-समय पर लघुकथा कार्यशालाएँ आयोजित की गईं जिसमें डॉक्टर उमेश महादोषी, श्यामसुंदर अग्रवाल, डॉक्टर बलराम अग्रवाल, जगदीश राय कुलारियाँ, माधव नागदा, सतीश राठी, बी.एल. आच्छा, रामयतन यादव, कान्ता रॉय जैसी लघुकथा जगत की ख्यात हस्तियों ने शिरकत की। सरल काव्यांजलि संस्था ने 2020 के हिन्दी दिवस, 14 सितंबर से देश की लघुकथा से जुड़ी हस्तियों को सम्मानित करने का निश्चय किया। 2020 में सूर्यकान्त नागर, सतीश राठी, कान्ता रॉय और 2021 में योगराज प्रभाकर, डॉक्टर उमेश महादोषी, राममूरत ‘राही’ और मृणाल आशुतोष को डिजिटल सम्मान प्रदान किये गए। शहर के साहित्यकार सन्तोष सुपेकर ने अनेक रचनाकारों की लघुकथाओं का अँग्रेज़ी अनुवाद भी किया है जो प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छपता रहा है। उन्होंने लघुकथा को पाठ्यक्रमों में शामिल करने हेतु केंद्र और राज्य सरकारों को पत्र भी लिखे हैं। वर्ष 2022 से इस विषय पर प्रति माह एक पत्र केंद्रीय शिक्षा मंत्री को लिख रहे हैं। सर्वश्री सतीश राठी, राजेन्द्र नागर ‘निरन्तर’ और सन्तोष सुपेकर की 20-20 लघुकथाओं का अनुवाद बांग्ला भाषा में हो चुका है। सन्तोष सुपेकर के लघुकथा अवदान पर लघुकथा कलश, पटियाला, पंजाब में आलेख भी प्रकाशित हुआ है। श्री सुपेकर की लघुकथाओं पर कैनेडा के कुसुम ज्ञवाली और नेपाल की रचना शर्मा ने नेपाली भाषा में अभिनयात्मक वाचन किया है। दिसम्बर 2021 में सरल काव्यंजली संस्था उज्जैन ने नए लघुकथाकारों के लिए कार्यशाला आयोजित की जिसमें डॉक्टर शेलेन्द्रकुमार शर्मा और सन्तोष सुपेकर ने नए लेखकों की समस्याओं, उत्सुकताओं के उत्तर दिए। 

विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में डॉक्टर शैलेन्द्र कुमार शर्मा के निदेशन में कुमारी भारती ललवानी द्वारा 2003 में ‘लघुकथा परम्परा में सतीश राठी का योगदान’ विषय पर एम.फिल. स्तर का शोधकार्य हुआ। इसी प्रकार ‘मीरा जैन की लघुकथाओं का अनुशीलन’ विषय पर प्रशांत कुशवाहा ने डॉक्टर गीता नायक के निदेशन में विक्रम विश्वविद्यालय में शोध प्रस्तुत किया। यहीं पर डॉक्टर धर्मेंंद्र वर्मा ने लघुकथाकार स्व. चन्द्रशेखर दुबे के साहित्य पर शोध किया। डॉ. सतीश दुबे (अब स्मृति शेष) पर आगर के डॉक्टर पी.ऐन. फागना ने 2009 में ‘मध्यप्रदेश की लघुकथा परम्परा में डॉक्टर सतीश दुबे का योगदान’ विषय पर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में शोध कार्य किया है। लघुकथा जगत के प्रमुख हस्ताक्षर श्री विक्रम सोनी (अब स्वर्गीय) भी उज्जैन से सम्बद्ध रहे हैं। संस्था ‘सरल काव्यांजलि’ ने वर्ष 2013 में उनके निवास पर जाकर श्री सोनी का सम्मान किया था। उज्जैन के ही डॉक्टर प्रभाकर शर्मा, सरस निर्मोही, ओम व्यास ‘ओम’ (दोनों अब स्मृति शेष) मुकेश जोशी, स्वामीनाथ पांडेय, सन्दीप सृजन, श्रीराम दवे, डॉक्टर क्षमा सिसोदिया, समर कबीर, दिलीप जैन, आशीष ‘अश्क, के.ऐन. शर्मा, रमेशचन्द्र शर्मा, पिलकेन्द्र अरोरा, आशीषसिंह जौहरी, आशागंगा शिरढोणकर, गोपालकृष्ण निगम, बृजेन्द्रसिंह तोमर, डॉक्टर घनश्यामसिंह, गड़बड़ नागर, डॉ. रामसिंह यादव, रमेश मेहता ‘प्रतीक’, गफूर स्नेही, डॉक्टर हरिशकुमार सिंह, योगेंद्र माथुर, श्रद्धा गुप्ता और मानसिंह शरद ने भी अनेक लघुकथाएँ लिखी हैं। इसी प्रकार सतीश राठी और श्याम गोविंद ने भी उज्जैन में रहकर लघुकथा क्षेत्र में काफ़ी सृजन किया है। उज्जैन ज़िले की तराना तहसील से डॉक्टर इसाक ‘अश्क’ और श्री सुरेश शर्मा (अब दोनों स्वर्गीय) के संयुक्त सम्पादन में ‘समांतर’ पत्रिका का लघुकथा विशेषांक 2001 में निकला था जिसमें 9 आलेख और प्रतिनिधि लघुकथा लेखकों की रचनाएँ शामिल थी। 

कनकश्रृंगा नगरी में अभी भी लघुकथा को लेकर अनेक सम्भावनाएँ हैं। 

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