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वातायन-यूके प्रवासी संगोष्ठी-188 के अंतर्गत कथाकार नासिरा शर्मा जी के कथा-साहित्य पर विशद चर्चा

 

ग्रेटर नोएडा, 09 जून, 2024: ‘वातायन-यूके’ के तत्त्वावधान में दिनांक: 08 जून, 2024 को प्रख्यात साहित्यकार नासिरा शर्मा जी के साहित्यिक अवदान पर उन्हीं की उपस्थिति में एक महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। हिंदी राइटर्स गिल्ड और वैश्विक हिंदी परिवार के सहयोग से आयोजित वातायन परिवार की यह संगोष्ठी अत्यंत उपादेय रही क्योंकि इसमें कहानीकार, संपादक और आलोचक राकेश बिहारी जी के वक्तव्य में नासिरा शर्मा की कहानियों पर अत्यंत बारीक़ी से प्रकाश डाला गया। उन्होंने नासिरा जी के उपन्यासों पर संक्षिप्त टिप्पणियों के पश्चात उनकी चुनिंदा प्रतिनिधि कहानियों पर विस्तार से चर्चा की।

कैनेडा की ख्यातिलब्ध कथाकार डॉ. शैलजा सक्सेना और श्री राकेश बिहारी ने बताया की नासिरा जी का कथा-साहित्य मानवीय रिश्तों को जोड़ने की भूमिका का निर्वाह करता है। संगोष्ठी की सह-आयोजक डॉ. शैलजा ने कहा कि नासिरा जी की कहानियाँ मनुष्य में प्रेम की पुनर्वापसी की कामना करती हैं।

एक नए परिप्रेक्ष्य में इस बात पर चर्चा की गई कि नासिरा जी की कुछ कहानियाँ सहृदय पुरुष की स्त्री के प्रति उदार दृष्टिकोण का उल्लेख करती हैं। इस पर नासिरा जी ने इंगित किया कि इक्कीसवीं सदी में स्त्री के प्रति पुरुष का वह रवैया बदल रहा है। राकेश जी ने कहा कि नासिरा जी भावों की संजीदगी और उसके तह तक पहुँचने की पूरी कोशिश करती हैं। मोहब्बत, अधिकार और निर्णय ये तीन बातें उनकी कहानियों में स्त्री-पुरुष के रिश्तों को निर्धारित करती हैं।

प्रख्यात कथाकार नासिरा शर्मा जी का रचना-संसार अत्यंत विशाल है और उन्होंने उपन्यास, कहानी, लेख, रिपोर्ताज, अनुवाद जैसी विधाओं में कोई तीन दर्ज़न से ज़्यादा पुस्तकें लिखी हैं। साहित्य अकादमी और व्यास सम्मान जैसे अलंकरणों से सम्मानित नासिरा शर्मा जी द्वारा संगोष्ठी के अंत में दिए गए संक्षिप्त वक्तव्य को डॉ. शैलजा ने अत्यंत सारगर्भित बताया।

इस संगोष्ठी में आकाशवाणी उद्घोषक, दिल्ली दूरदर्शन से जुड़े और रंगमंच कलाकार श्री कृष्ण कांत टंडन भी उपस्थित थे। उन्होंने अभिनेत्री, एंकर, वॉयसओवर कलाकार–अश्विनी किन्हिकर जी के साथ नासिरा जी की एक कहानी के अंश के नाट्य रूपांतर का हृदयस्पर्शी पाठ प्रस्तुत करके श्रोता-दर्शकों को आत्मविभोर कर दिया। प्रबुद्ध श्रोता-दर्शकों में से कुछ ने टिप्पणियाँ भी कीं जिन पर श्री राकेश और नासिरा शर्मा जी ने भी प्रतिक्रियाएँ कीं।

संगोष्ठी में जापान के प्रो. तोमिओ मिज़ोकामी, प्रो. लुडमिला खोंखोलोव, अरुण सभरवाल, अनूप भार्गव, वरुण कुमार, राकेश त्रिपाठी, भूपेंद्र सिंह, स्मिता श्रीवास्तव, शैल अग्रवाल, दीपिका दास, अर्पणा संत सिंह, रश्मि वर्मा, राजेंद्र माहेश्वरी, अरुणा अजितसरिया आदि जैसे प्रबुद्ध श्रोता दर्शक उपस्थित थे। संगोष्ठी का समापन डॉ. मनोज मोक्षेंद्र के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

(प्रेस विज्ञप्ति, डॉ. मनोज मोक्षेंद्र)

कथाकार नासिरा शर्मा जी के कथा-साहित्य पर विशद चर्चा

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