अग्रदूत
काव्य साहित्य | कविता अमित डोगरा15 Feb 2021
अनहद नाद का दूत हूँ मैं,
मेरा किसी से
कोई रिश्ता नाता नहीं,
मैं केवल सत्य
और सच्चाई का दूत हूँ,
जब-जब धर्म की हानि होती है,
तब तब मैं पृथ्वी पर
अवतरित होता हूँ,
कभी मैं राम बनकर
रावण का वध करता हूँ,
तो कभी कृष्ण बनकर
कंस जैसे अत्याचारियों का दमन करता हूँ,
कभी मैं मीरा बनकर
भक्ति रस में खो जाता हूँ,
तो कभी मैं नानक बनकर
जगत में मानवता का संदेश देता हूँ,
तो कभी मैं गोविंद सिंह बनकर
शत्रुओं को खदेड़ता हूँ,
तो कभी अल्लाह का बंदा बन कर
नूर-ए-इलाही बाँटता हूँ,
फिर भी इस बुद्धिजीवी युग के लोग
मुझे मिथ कहते हैं,
मैं मिथ नही,
केवल मैं ही सत्य हूँ,
और मैं ही सत्य रहूँगा!
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