भावदृष्टि
काव्य साहित्य | कविता चुम्मन प्रसाद1 Nov 2019
जल,
पूजा का जल,
पीने का जल,
नहाने का जल
या फिर
शौच के बाद
बाँए हाथ मे लिया हुआ
जल,
सब एक ही है।
एक से ही
व्याप्त है
चराचर सृष्टि;
भेद उपजाता है
केवल
अंतर्मन की भावदृष्टि।
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