दया करो माँ
काव्य साहित्य | कविता महेन्द्र देवांगन माटी1 Apr 2020
दीन हीन हम बालक माता, पास तुम्हारे आये।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें॥
विपदा में हम पड़े हुए हैं, अब तो हमें बचाओ।
अंधकार सब दूर करो माँ, राह नया दिखलाओ॥
दीप जलाऊँ दिल से माता, उर आनंद छा जाये।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें॥
भटक गया है मानव अब तो, पापी बढ़ते जायें।
करे दिखावा सबसे ज़्यादा, चंदन तिलक लगायें॥
कर उद्धार सभी का माता, तेरे ही गुण गायें।
दया करो हे अम्बे माता, और कहाँ हम जायें॥
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