फ़ना / निर्वाण
काव्य साहित्य | कविता डॉ. कैलाश वाजपेयी26 Apr 2008
लोग पूछते हैं कहाँ उसे पाएँ हम
धरती के किस टुकड़े को घेरकर
किस क़िस्म का कैसा गुम्बद बनाएँ हम
कि वह वहीं क़ैद हो जाए
कितनी ऊँचाई से, किस भाषा में, कितनी
जोर से दें आवाज़ हम
कि उसे सुनाई पड़ जाए
अजीब बात है
मछली को पानी में है मछली
पानी की तलाश है।
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