गुड़िया की होली
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता प्रिया देवांगन ’प्रियू’15 Mar 2020 (अंक: 152, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
रंग बिरंगे सभी ओर जी, हरियाली है छाई।
फागुन की होली है देखो, गुड़िया रंग है लाई॥
घूम घूम के खेले होली, सबको रंग लगाये।
पापा के संग गुड़िया रानी, पिचकारी ख़ूब चलाये॥
चुन्नू मुन्नू दोनों आये, रंग साथ में लायें।
गुड़िया रानी को देखकर, दंग सभी रह जायें॥
दादा जी मुखौटा पहनें, गुड़िया को डरायें।
दौड़ दौड़ के खेलें होली , बच्चे शोर मचायें॥
घर घर मीठे पकवान बनायें, मिल बाँट कर खायें।
बच्चे बूढ़े सभी मज़े से, होली ख़ूब मनायें॥
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