इतने दिनों के प्यार के बाद भी
काव्य साहित्य | कविता यदुवंश प्रणय5 Mar 2016
मैं कितना जानता हूँ तुम्हें
इतने दिनों के प्यार में
क्या जानना बस इतना भर है, कि
तुम्हारा पता, रुचि-अरुचि बस।
या इससे भी कहीं ज़्यादा
मुझे जानना चाहिए था
जो सामान्यतः तुम एक पुरुष को
नहीं बता सकती
उसकी बनी हुई मानसिकता के कारण
इतने दिनों के प्यार के बाद भी।
पिछली रात को तुम्हारे बुखार की गर्मी और
चूल्हे के ताप के संघर्ष के बाद भी
मुझे केवल स्वाद ही पता चल सका,
उपहार में लाल चटख रंग की साड़ी
जो तुम पर मुझे अच्छी लगती है
क्या मैं जान पाया इस चटख से इतर भी।
ये रंग और स्वाद जो केवल मेरे लिए थे
क्या मैं जान पाया इससे भी इतर
तुम्हारे बारे में
इतने दिनों के प्यार के बाद भी।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं