मैं तो अभी बच्चा हूँ
काव्य साहित्य | कविता राजेंद्र कुमार शास्त्री 'गुरु’20 Feb 2019
मैं यूँ ही अक्खड़ अटखेलियाँ करता रहता हूँ,
तेरी हर सलाह अच्छी होती है
पर मैं उन्हें दुत्कार देता हूँ
जब होती है साँझ तो तेरी ही
गोद में आँख मूँद लेता हूँ
क्योंकि मैं तो अभी बच्चा हूँ I
हर रोज़ की तरह तू एक ही राग अलापती है
चाहे मेरी ग़लती हो या न हो
फिर भी तू डाँटती रहती है
खुली आँखों में ऐसा क्या है
नींद आने पर ही क्यों दुलारती हो
आखिर माँ अभी तो मैं बच्चा हूँ
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