मेहनत के रंग
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. भावना कुँअर6 Oct 2007
देखो छोटों के व्यवहार
मेहनत से न माने हार।
चींटी होती सबसे छोटी
खुद से बड़ा वज़न ये ढोती।
चुन-चुन चिड़िया तिनका लाती
और घोंसला बड़ा बनाती।
चूहा बिल जो अपना बनाये
ढेरों मिट्टी खोदे जाये।
रेशम का कीड़ा दीवाना
सुन्दर बुनता ताना बाना।
रस फूलों का लेकर आती
मधु मक्खियाँ, मधु बनातीं।
दिन भर मकड़ी जाल है बुनती।
मगर आह! न हमको सुनती।
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