नेक दिल
काव्य साहित्य | कविता डॉ. सुधा ओम ढींगरा16 Sep 2017
वह,
एक नेक दिल इन्सान था,
लोगों के लिए भगवान था।
जिसने अपना
सब कुछ लुटाया
ख़ुद को मिटाया
कि
देश आज़ाद हो सके!
आने वाली पीढ़ी
सुख की साँस ले सके!
उसकी कुर्बानी रंग लाई....
देश आज़ाद हुआ
लेकिन वह कल की बात हुआ!
समय के साथ-साथ
जब उसका ध्यान आया
तो
लोगों का मन
बहुत झुँझलाया
तब – झट से
किसी कंकर, पत्थर की सड़क पर
उसका नाम लिखाया,
किसी चौराहे पर
उसका बुत लगवाया
लेकिन
उसके विचारों को
उसके आदर्शों को
सीधा श्मशान पहुँचाया
और
गहर में दफ़नाया।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
पुस्तक समीक्षा
रचना समीक्षा
कविता
साहित्यिक आलेख
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं