पहचान
काव्य साहित्य | कविता मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका1 Nov 2020 (अंक: 168, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
हृदय में करुणा भर
कर सबका सम्मान
रूप और यौवन पर
मत कर अभिमान
परिश्रम से ही होता
हर स्वप्न साकार
ईर्ष्या और घृणा से
मिलता नहीं प्यार
ज्ञान से ही संभव है
मनुज का उत्थान
कर्मों से ही बनती है
एक अलग पहचान
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं