पहचान
काव्य साहित्य | कविता मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका1 Nov 2020
हृदय में करुणा भर
कर सबका सम्मान
रूप और यौवन पर
मत कर अभिमान
परिश्रम से ही होता
हर स्वप्न साकार
ईर्ष्या और घृणा से
मिलता नहीं प्यार
ज्ञान से ही संभव है
मनुज का उत्थान
कर्मों से ही बनती है
एक अलग पहचान
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