फूल के दोने
काव्य साहित्य | कविता शेष अमित4 Feb 2019
मंदिर के मुहाने पर,
एक कृष्णकाया दुर्दशा,
बेच रही थी-
फूल के दोने,
दोने में फूल,
ताज़े झटके डालों से,
आँसुओं की ठहरी बूँदें,
खिलखिला पड़ी हों,
चाहत के रंग-
देवी-देवताओं के,
दोनों में क़ैद-
काली को लाल,
शनि को नीले,
पीले सफेद अनंत को,
दूर आबादी से,
सिसकते पौधे फूलों के,
उदास हैं विरह वन में।
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