क़ाफ़िला
काव्य साहित्य | कविता जैनन प्रसाद1 Apr 2021 (अंक: 178, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
साँसों में अब भी तेरा नाम है
इसे सुन कर देखो।
पुरानी यादों की किताब
नज़र पर रख कर देखो।
पता चल जायेगा
समुन्दर को भी मेरा वजूद।
मैं दरिया हूँ मेरे साथ
सफ़र में रह कर देखो।
बस्तियाँ उजड़ गई हैं
घोंसले बनाने में।
मेरे अरमानों के खण्डहर में
एक पल ठहर कर देखो।
अभी तो धूप ने
करवट भी नहीं बदली है ।
चंद साँसे ही सही,
बेख़बर रह कर देखो।
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