रंग-बिरंगे गुब्बारे
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. भावना कुँअर22 Mar 2008
रंग बिरंगे-नीले पीले,
हैं गुब्बारे खूब सजीले।
इन्द्रधनुष के रंगों जैसे,
झटपट दे दो अब तुम पैसे।
जो भी चाहो ले लो तुम,
जी भर के फिर खेलो तुम।
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