राष्ट्र पथ पर हो प्रसर, अखंड भारत साकार कर
काव्य साहित्य | कविता कुणाल बरडिया15 Apr 2020 (अंक: 154, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
राष्ट्र पथ पर हो प्रसर,
अखंड भारत साकार कर
राष्ट्र राग अपाल कर,
भगवापन स्वीकार कर
विधर्मियों के दांव पर,
गहरा अब हर वार कर
ध्वस्त हो षड्यंत्र हर,
वार कि ऐसी धार कर
आतंक की हर ढाल पर,
बन निडर प्रहार कर
राष्ट्र पथ पर हो प्रसर,
अखंड भारत साकार कर
स्वयं से न हार कर,
निद्रा आलस्य त्याग कर
भूत को अब न याद कर,
मोह जाल को काट कर
अटल अपना लक्ष्य कर,
राहें सारी निश्चित कर,
गीता सार याद कर,
मंजिल की और उड़ान भर
राष्ट्र पथ पर हो प्रसर,
अखंड भारत साकार कर
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं