सुबह उठ अब पढ़ना है
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'1 Apr 2019
मौसम है यह पढ़ने का।
जीवन में आगे बढ़ने का॥
सुबह -सुबह उठ जाना है।
लगन लगाकर पढ़ना है॥
समय पर स्कूल जाना है।
ज्ञान खूब हमें पाना है॥
जो न पढ़ता झटपट उठकर।
पीछे उसको रोना है॥
समझ रहे हो प्यारे बच्चो।
सुबह उठ अब पढ़ना है॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
स्मृति लेख
बाल साहित्य कविता
पुस्तक चर्चा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं