तितली, क्यों शरमाती?
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'1 Oct 2019
इस डाली से उस डाली पर,
नाच रही है तितली रानी।
रंग - बिरंगी पंखों वाली,
मन बहलाती तितली रानी॥
फुर-फुर कर बगिया में आती,
हँसती, इतराती - मुस्काती।
देख हमें झट से उड़ जाती,
जाने हमसे क्यों शरमाती॥
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