अपना प्यारा गाँव
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता डॉ. प्रमोद सोनवानी 'पुष्प'15 Apr 2019
न्याय-धर्म का पाठ पढ़ाता,
प्यारा अपना गाँव।
गुणी जनों का है पग धरता,
ऐसा अपना गाँव॥
अलग-अलग हैं जाति-धर्म पर,
हैं आपस में एक।
सबके अपनें कर्म अलग हैं,
फिर भी हैं हम एक॥
दुःख में सब मतभेद भुलाकर।
एक हो जाता गाँव॥1॥
बहती हैं यहाँ प्रेम की धारा,
मन में कहीं न द्वेष।
कर्म को ही हम मानें पूजा,
हम सबका एक भेष॥
भावी पीढ़ी को मार्ग दिखाता।
ऐसा प्यारा गाँव॥2॥
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