सूरज की पहली किरण!
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता धीरज श्रीवास्तव ’धीरज’15 Jan 2020 (अंक: 148, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
सूरज की पहली किरण!
जब खिड़की से झाँकती है
मैं अलसाया-सा सोता हूँ
वो आकर मुझे जगाती है
मैं आँखें मलता उठता हूँ।
जीवन का संदेश सुनाती
अँधेरों में राह दिखाती
पथ-प्रर्दशक बनकर मेरे
साथ-साथ वो चलती है
मैं आगे बढ़ता जाता हूँ।
मत देखो तुम इधर-उधर
अपने ध्यान में रहो मगन
एक दिन मंज़िल पाओगे
झूमेंगे धरती और गगन।
मैं गीत ख़ुशी का गाता हूँ।
सूरज की पहली किरण
जब खिड़की से झाँकती है।
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