अच्छे बच्चे
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता धीरज श्रीवास्तव ’धीरज’15 Dec 2019 (अंक: 146, द्वितीय, 2019 में प्रकाशित)
पढ़ना-लिखना ध्यान से
खेलना-कूदना शान से।
बच्चे तुम हिन्दुस्तान के
रहना हमेशा आन से।
न डरना किसी से तुम
मस्ती में बस रहना तुम।
गिरना-उठना सँभलना
बस चलते रहना तुम।
दूर सितारे देखो तुम
उन जैसे बनना तुम।
राह कठिन हो कितनी
बस बढ़ते जाना तुम।
एक दिन मंज़िल पाओगे
नाचोगे झूमोगे गाओगे।
थककर कभी न रुकना
कभी किसी से न डरना।
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