सूरज आया
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता धीरज श्रीवास्तव ’धीरज’15 Dec 2019 (अंक: 146, द्वितीय, 2019 में प्रकाशित)
सुबह सुबह सूरज आता
सबके मन को हरसाता।
जल्दी से तुम उठ जाओ
नित्यक्रिया में लग जाओ।
नहाना धोना फिर खाना
बस्ता लेकर स्कूल जाना।
मन लगाकर पढ़ना तुम
नहीं किसी से लड़ना तुम।
तुम हो दिल के सच्चे
बनना तुम अच्छे बच्चे।
कदम कदम बढ़ते जाना
किसी से तुम न टकराना।
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