तन्हाई (समीर लाल ’समीर)
काव्य साहित्य | कविता समीर लाल 'समीर'31 May 2008
दीवार पे टंगी उस तस्वीर पे
मेरी नज़र जब जाती है
यादें हैं बरसों पहले की
मेरी आँख भर आती है
तन्हाई देख मेरे जीवन की
वो इतना घबराती है
धूल की परतों के पीछे
जा कर वो छुप जाती है।
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