वे पहाड़ हो गए हैं
काव्य साहित्य | कविता संजीव बख्शी30 Apr 2012
नापी जाती है
सड़क की ऊँचाई, किनारों से
उसके अपने किनारों से ।
ताज्जुब की बात नहीं
भूल गए हैं लोग
सड़क पर पैरों से चलना और
स्ड़क की ऊँचाई को महसूसना
इंसानी चहल-पहल से दूर
वे पहाड़ हो गए हैं
बात-बात में वे
समुद्र तल की चर्चा करते हैं ।
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