आदित्य तोमर - मुक्तक - 1 नयन
काव्य साहित्य | कविता-मुक्तक आदित्य तोमर ’ए डी’1 Aug 2020 (अंक: 161, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
1.
रात भर जागते रहे दो नयन,
सब व्यथा बाँचते रहे दो नयन।
अश्रु बहते रहे रुके ही नहीं
भावनाएँ साधते रहे दो नयन॥
2.
मन की बात को नयनों ने कह दिया,
सारे हालात को नयनों ने कह दिया।
मैं कुछ कहता उससे पहले ही,
मेरे जज़्बात को नयनों ने कह दिया॥
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