बादल भैया आ जाओ
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता रमेशराज15 Jun 2019
चकवा बोला, चकवी बोली-
बादल भैया आ जाओ,
सूखे ताल मेंढ़की बोली-
बादल भैया आ जाओ।
सूरज आँखें लाल दिखाता
धूप तमाचे जड़ती है
चाबुक जैसी मार सभी पर
अब तो लू की पड़ती है।
मुरझायी हर टहनी बोली-
बादल भैया आ जाओ
फूल न खिलते तितली बोली-
बादल भैया आ जाओ॥
बछड़ा भूखा, गैया भूखी
भैंस-बकरिया बहुत दुखी
बिन पानी के दीख रही है
पोखर-नदिया बहुत दुखी,
घास न दीखे खुरपी बोली-
बादल भैया आ जाओ।
सूखी फसल धान की बोली-
बादल भैया आ जाओ॥
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