कहें आपसे हम बच्चे
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता रमेशराज1 Jun 2019
भेदभाव की बात न हो
घायल कोई गात न हो।
पड़े न नफ़रत दिखलायी
रहें प्यार से सब भाई।
करें न आँखें नम बच्चे
कहें आपसे हम बच्चे।
हम छोटे हैं- आप बड़े
यदि यूँ ही अलगाव गढ़े
नहीं बचेगी मानवता
मुरझायेगी प्रेम-लता
झेलेंगे हम ग़म बच्चे
कहें आपसे हम बच्चे।
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