बसंत आया
काव्य साहित्य | कविता-ताँका डॉ. सरस्वती माथुर2 Apr 2015
1.
बसंत राग
धरा गगन छाया
सुमन खिलाने को
ऋतुराज भी
कोकिल सा कूकता
मधुबन में आया।
2.
सरसों झूमी
बासंती मौसम में
खेतों में लहराया
धरा रिझाने
तरुवल्ली सजाने
बसंतराज आया।
3.
बौराया मन
कोयलिया पंचम
राग छेड़ती डोले
ओढ़ कर चूनर
बासंती रंग संग
फूल पात पे डोले।
4.
प्रीत के गीत
गुनगुनाता आया
पीताम्बर डाल के
बसंत छाया
कोयलिया कुहकी
पलाश दहकाया।
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