पात्रता
कथा साहित्य | लघुकथा के.पी. सक्सेना 'दूसरे'9 Sep 2007
जिला अस्पताल में अपंगता प्रमाण-पत्र दिये जाने का अंतिम दिन था। बहुत भीड़ थी फिर भी उसका नाम पुकार लिया गया। डाक्टर ने फ़ॉर्म देख कर बगैर सिर उठाए कहा, "दिखाओ"
नौजवान ने अपना दाहिना हाथ टेबल पर रख दिया।
"सिर्फ 25प्रतिशत अपंगता का केस है इसमें तुम्हें कोई सरकारी छूट नहीं मिलेगी।" डाक्टर बोला ।
नौजवान थोड़ा पढ़ा लिखा लगता था, बोला - "कुछ करिये साहब, विकलांग कोटे में चपरासी की ही नौकरी मिल जाती .... " वह आगे बोल नहीं पाया।
डाक्टर को उसके ऊपर तरस तो आया लेकिन वह मजबूर था, बोला - "देखो भाई, सरकारी नियम बिलकुल साफ है। अँगूठा कटा हो तो 40 प्रतिशत और प्रत्येक उँगली का 10 - 10 प्रतिशत , पूरा पंजा गायब हो तो 100 प्रतिशत अपंगता होने का मापदंड है। अब तुम्हारी सिर्फ ढाई उँगली कटी है तो 25 प्रतिशत ही हुआ ना! जबकि वास्तविक विकलांग की पात्रता के लिए इंसान में कम से कम 40 प्रतिशत अपंगता होना चाहिए। "
इतना कह कर डाक्टर ने दूसरे को आवाज देने के लिए चपरासी को इशारा किया। नौजवान धीरे 2 बाहर निकल गया।
अचानक बाहर कुछ शोर सुनकर डाक्टर ने चपरासी से कारण पूछा तो चपरासी बोला, "ठीक से पता नहीं सर! पर कोई कह रह था कि एक लड़के ने अचानक आपरेशन थियेटर में घुस कर अपना अँगूठा काट लिया।
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